पात्र
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]पात्र संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वह वस्तु जिसमें कुछ रखा जा सके । आधार । बरतन । भाजन ।
२. वह व्यक्ति जो किसी विषय का अधिकारी हो, या जो किसी वस्तु को पाकर उसका उपभोग कर सकता हो । जैसे, दानपात्र, शिक्षापात्र आदि । उ॰—स्वबलि देते है उसे जो पात्र ।—साकेत, पृ॰ १८५ ।
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३. नदी के दोनों किनारों के बीच का स्थान । पाट ।
४. नाटक के नायक, नायिका आदि ।
५. वे मनुष्य जो नाटक खेलते हैं । अभिनेता । नट ।
६. राजमंत्री ।
७. वैद्यक में एक तोल जो चार सेर के बराबर होती है । आढक ।
८. पत्ता । पत्र ।
९. स्रु वा आदि यज्ञ के उपकरण ।
१०. जल पीने या खाने का बरतन ।
११. आदेश । हुक्म । आज्ञा (को॰) ।
१२. योग्यता । उपयुक्तता (को॰) ।
१३. वह व्यक्ति जिसका कहानी, उपन्यास आदिक्षचथ के कथानक में वर्णन हो ।